Ø 'तरनि-तनूजा-तट तमाल तरुवर बहु छाए'। इस पंक्ति के रचयिता हैं→भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
Ø भूषण की कविता का प्रधान स्वर है→प्रशस्तिपरक
Ø भक्तिकाल की रामाश्रयी शाखाके निम्नलिखित में से कौन-से कवि हैं→तुलसीदास
Ø भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए उर्दू, फ़ारसी, खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है?→ कबीर
Ø हिन्दी के प्रथम गद्यकार हैं→लल्लूलाल
Ø 'राग दरबारी' उपन्यास के रचयिता हैं→श्रीलाल शुक्ल
Ø 'पूस की रात' कहानी के रचनाकार हैं→प्रेमचन्द
Ø 'पंच परमेश्वर' के लेखक हैं→प्रेमचन्द
Ø 'तोड़ती पत्थर' (कविता) के कवि हैं→सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
Ø 'हार की जीत' (कहानी) के कहानीकार हैं→सुदर्शन
Ø 'रानी केतकी की कहानी' के रचयिता हैं→इंशा अल्ला ख़ाँ
Ø 'शिव शंभु के चिट्ठे' से संबंधित रचनाकार हैं→बाल मुकुन्द गुप्त
Ø 'रसिक प्रिया' के रचयिता हैं→केशवदास
Ø 'कुटज' के रचयिता हैं→हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
Ø मसि कागद छुयो नहीं कलम गही नहिं हाथ॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं→कबीरदास
Ø 'चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग'। इस पंक्ति केरचयिता हैं→रहीम
Ø भूषण की कविता का प्रधान स्वर है→प्रशस्तिपरक
Ø भक्तिकाल की रामाश्रयी शाखाके निम्नलिखित में से कौन-से कवि हैं→तुलसीदास
Ø भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए उर्दू, फ़ारसी, खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है?→ कबीर
Ø हिन्दी के प्रथम गद्यकार हैं→लल्लूलाल
Ø 'राग दरबारी' उपन्यास के रचयिता हैं→श्रीलाल शुक्ल
Ø 'पूस की रात' कहानी के रचनाकार हैं→प्रेमचन्द
Ø 'पंच परमेश्वर' के लेखक हैं→प्रेमचन्द
Ø 'तोड़ती पत्थर' (कविता) के कवि हैं→सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'
Ø 'हार की जीत' (कहानी) के कहानीकार हैं→सुदर्शन
Ø 'रानी केतकी की कहानी' के रचयिता हैं→इंशा अल्ला ख़ाँ
Ø 'शिव शंभु के चिट्ठे' से संबंधित रचनाकार हैं→बाल मुकुन्द गुप्त
Ø 'रसिक प्रिया' के रचयिता हैं→केशवदास
Ø 'कुटज' के रचयिता हैं→हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
Ø मसि कागद छुयो नहीं कलम गही नहिं हाथ॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं→कबीरदास
Ø 'चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग'। इस पंक्ति केरचयिता हैं→रहीम
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