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हिंदी साहित्य में उपन्यास सम्राट के नाम से मशहूर प्रेमचंद की आज जयंती है.
31 जुलाई 1880 को जन्म लेने वाले प्रेमचंद हिंदी साहित्य के महान लेखकों में से एक हैं.
चलिए आज नजर डा़लते हैं प्रेमचंद के उन कथनों पर जो आपको उन हालातों में हौंसला देने का काम करेंगे, जब आप अपने करियर और नौकरी की जद्दोजहद में लगे हों.
→चापलूसी का जहरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुंचा सकता जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझ कर पी न जाएं.
→कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है.
→खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है, आगे बढ़ते रहने की लगन का.
→आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है.
→यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं.
→नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है.
→कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता. कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है.
→केवल बुद्धि के द्वारा ही मानव का मनुष्यत्व प्रकट होता है.
→अपनी भूल अपने ही हाथों से सुधर जाए तो यह उससे कहीं अच्छा है कि कोई दूसरा उसे सुधारे.
→सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं.
यह 11वीं और अंतिम बात शायद ढंढास तो न बंधाए, पर एक मुस्कान जरूर ला सकती है नौकरीपेशा लोगों के चेहरे पर...
''मासिक वेतन पूरनमासी का चांद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते घटते लुप्त हो जाता है.''

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