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आज हम बात करेंगे एक ऐसे शख़्स की जो एक गरीब घर में पैदा हुआ था लेकिन मैथ की दुनिया में नाम कमा गया. जिस मैथ से आजकल के बच्चे डरते है ना उसमें तो वो जीनियस था जीनियस. इनका नाम था श्रीनिवास रामानुजन्. इनके बारे में डिटेल में जानते है So Let’s begin….
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1. 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के ईरोड गांव में श्रीनिवास अय्यांगर और कोमलतामल के घर एक बच्चा पैदा हुआ था, नाम रखा गया रामानुजन्. आगे जाकर ये क्या करने वाला है किसी को कुछ पता नही था. रामानुजन् के पिता एक साड़ी की दुकान पर क्लर्क और माँ हाऊस वाइफ थी।
2. रामानुजन् के सभी भाई-बहन बचपन में मर गए. दरअसल, 1889 में चेचक नाम की बीमारी फैल गई थी. इस साल चेचक से तंजावुर जिले में हजारों लोग मारे गए थे. लेकिन रामानुजन् फिर से ठीक हो गए।
3. करीबी बताते है कि रामानुज़न् पैदा होने के 3 साल तक बोले नही थे. घरवालों ने सोचने लगे थे कहीं ये गूँगा तो नही है. 10 साल की उम्र में रामानुज प्राइमरी क्लास में जिले में पहले नंबर पर आए।
4. बचपन में रामानुजन् स्कूल जाने से बचते थे. इनके घरवालों ने ये देखने के लिए स्पेशल एक आदमी की ड्यूटी लगाई थी कि रामानुज़न् ने आज स्कूल भी लगाया है या नही।
5. घर का खर्च निकालने के लिए रामानुजन् बचपन में ट्यूशन पढ़ाया करते थे. इन्हें ट्यूशन के हर महीने 5 रूपए मिलते थे। रामानुजन् थे सातवीं कक्षा में और ट्यूशन पढ़ाते थे बी. ए. के लड़के को।
6. 13 साल की उम्र में खुद की थ्योरम बनाने वाले रामानुजन् ने मैथ की कभी कोई अलग से ट्रेनिंग नही ली।
7. रामानुज़न् ने 11 साल की उम्र में, काॅलेज के स्तर का मैथ याद कर लिया था. 13 साल की उम्र में, एडवांस ट्रिग्नोमेट्री को रट दिया और खुद की थ्योरम बनाने लगे. 17 साल की उम्र में, बर्नोली नंबरों की जाँच की और 15 डेसिमल प्वाॅइंट तक यूलर(Euler) कांस्टेंट की वैल्यू खोज दी थी।
8. जब रामानुजन् 16 साल के थे, तो उनके दोस्त ने लाइब्रेरी से जी. एस. कार की लिखी हुई एक किताब दी “A Synopsis of Elementary Results in Pure and Applied Mathematics”. इसमें 5000 से ज्यादा थ्योरम थी. रामानुज़न् ने ये किताब सारी पढ़ डाली पूरे ध्यान से. बस यहीं से उनके मैथ जीनियस बनने का सफ़र शुरू हो गया।
9. रामानुजन् अपने मैथ के पेपर को आधे से भी कम समय में पूरा कर देते थे।
10. गणित में जीनियस होने के कारण रामानुज़न् को सरकारी आर्ट्स काॅलेज में पढ़ाई करने के लिए स्काॅलरशिप मिली थी. लेकिन इन्होनें मैथ में इतना ध्यान लगाया, इतना ध्यान लगाया कि बाकी सभी सब्जेक्ट में फेल हो गए. इससे इनकी स्काॅलरशिप भी छिन ली गई।
11. पेपर बहुत महंगे होने के कारण रामानुजन् मैथ के सवाल निकालने के लिए ‘स्लेट’ का यूज करते थे. हालांकि ये एक रजिस्टर भी रखते थे जिसमें स्लेट से फाॅर्मूला उतारते थे. रामानुजन् जब कही नौकरी की तलाश में जाते थे तो अक्सर यही रजिस्टर दिखाते थे लेकिन लोग इसे नजरअंदाज कर देते थे।
12. जब रामानुज़न् 22 साल के हो गए तो 10 साल की जानकी से इनका ब्याह कर दिया गया. ब्याह के बाद रामानुज़न् को ‘हाइड्रोसील टेस्टिस’ यानि अंडकोष में होने वाली एक बीमारी हो गई. घर पर इलाज के पैसे नही थे तो एक डाॅक्टर ने फ्री में सर्जरी कर दी. सर्जरी के बाद वो बीमार पड़ गए, सोचा अब नही बच पाऊँगा लेकिन ठीक हो गए।
13. 1913 में 26 साल की उम्र में रामानुजन् ने मैथ के 120 सूत्र लिखे और अंग्रेज प्रोफेसर जी. एच. हार्डी के पास भेज दिए. हार्डी ने पहले तो खास ध्यान नही दिया लेकिन पढ़ने के बाद उसे लगा कि ये तो कोई विद्वान है. फिर क्या था बुला लिया रामानुज को कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी।
14. रामानुज़न् ने इंग्लैड जाने से मना कर दिया लेकिन हार्डी ने जैसे-तैसे करके मना ही लिया. रामानुज धर्म-कर्म के पक्के थे. इंग्लैड जैसे ठंडे देश में भी रोज नहाते थे, पक्के ब्राह्मण होने के कारण शाकाहरी भी थे. यहाँ ठीक खाना न मिलने से वो बीमार पड़ गए और वापिस मद्रास आ गए।
15. रामानुजन् के बारे में एक तथ्य और बता दूँ, जब वो इंग्लैंड में थे तो उन्होनें आत्महत्या करने की सोची थी लेकिन मौके पर पुलिसकर्मी ने पकड़ लिया, पुलिसवाला जेल में भेजने ही वाला था तो प्रोफेसर हार्डी ने इसमें हस्तक्षेप किया और पुलिसकर्मी से झूठ बोला कि रामानुजन् एफआरएस(Fellow of Rayal Society) का सदस्य है और तुम इस तरह एक एफआरएस को जेल में नही भेज सकते. कुछ महीने बाद रामानुज़न् सच में FRS का सदस्य बन गया।
16. 1918 में 31 साल की उम्र में श्रीनिवास रामानुजन् को राॅयल सोसाइटी का सबसे कम उम्र का साथी चुना गया. 1841 में Ardaseer Cursetjee के बाद ऐसा करने वाले वे दूसरे भारतीय बन गए. 13 अक्टूबर 1918 को रामानुज को ट्रिनिटी काॅलेज का साथी चुना गया. ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय थे।
17. भारतीय राज्य तमिलनाडु, रामानुजन् के जन्मदिन को IT Day के रूप में और पूरा देश National Mathematics Day के रूप में मनाता है।
18. रामानुजन् ने अपनी 32 साल की लाइफ में 3884 इक्वेशन बनाईं. इनमें से कई तो आज भी अनसुलझी है. मैथ में 1729 को रामानुजन् नंबर के नाम से जाना जाता है।
19. इंग्लैंड से आने के बाद भी तेज़ बुखार, खांसी होने के कारण उनकी हालत गंभीर होती गई. 26 April, 1920 को 32 साल की उम्र में श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर की मौत हो गई। कुंबकोणम में इनके पैतृक निवास को अब म्यूजियम बना दिया गया है।
20. श्रीनिवास रामानुजन् को “Man Who Knew Infinty” कहा जाता है क्योकिं इनके प्रमुख योगदान में से 60%!स(MISSING)े ज्यादा Infinite series के सूत्र थे।

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