# विज्ञान_एवं_प्रौद्योगिकी : यातायात एवं परिवहन
# सुर्ख़ियों_में : "देश का प्रथम अंडर रिवर वाटर टनल"
देश की पहली अंडरवाटर कोलकाता में हुगली नदी के नीचे बन रही है। कोलकाता मेट्रो के दूसरे चरण के तहत इस सुरंग का निर्माण जापान के सहयोग से भारतीय रेल द्वारा किया जा रहा है। इसके पूरा होने पर कोलकाता का नाम विश्व के उन चुनिंदा महानगरों में शामिल हो जाएगा जहां मेट्रो की लाइन नदी के नीचे से गुजरती है।
रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार हुगली नदी के नीचे बनाई जा रही दोहरी सुरंग की लंबाई 520 मीटर है। प्रत्येक का भीतरी व्यास साढ़े 5.55 मीटर तथा दीवार की मोटाई 275 मिलीमीटर है। ये नदी की तलहटी से 13 मीटर नीचे हैं। एक सुरंग का काम 21 अप्रैल, 2016 को तथा दूसरी का जुलाई को हावड़ा मैदान से प्रारंभ हुआ था, लेकिन विभिन्न अड़चनों के कारण इन्हें नदी तक पहुंचने में एक साल का वक्त लग गया।
बीती 22 मई को इनमें से एक मशीन ने नदी को पार कर लिया था। अब बाकी कार्य के भी तेजी से पूर्ण होने की संभावना है। हुगली पूरा होने से नदी के पश्चिमी ओर स्थित हावड़ा स्टेशन पूर्व में स्थित महाकरन, सियालदह, फूल बागान, साल्टलेक स्टेडियम, बंगाल केमिकल्स, सिटी सेंटर, सेंट्रल पार्क, करुणामई और साल्ट लेक सेक्टर-5 स्टेशनों से जुड़ जाएंगे।
इन स्टेशनों के बीच रोजाना हजारों कोलकाता वासियों का आवागमन होता है। हावड़ा और सियालदह स्टेशनों के बीच मेट्रो संपर्क स्थापित होने से उत्तरी 24 परगना, दक्षिणी 24 परगना तथा नाडिया जिले के हजारों यात्रियों का दैनिक सफर आसान हो जाएगा।
कोलकाता मेट्रो रेल के दूसरे चरण की परियोजना जापान के सहयोग से पूरी की जा रही है। इस पर आने वाली लगभग 5000 करोड़ रुपये की लागत जापान बैंक आफ इंटरनेशनल कोआपरेशन (जेबीआइसी) के वित्तीय सहयोग से पूरी की जा रही है। दूसरा चरण लगभग 4 किलोमीटर लंबा है।
जिसमें कुल स्टेशनों का निर्माण होगा। इनमें आधे जमीन के भीतर तथा आधे खंभों पर (एलीवेटेड) होंगे। दूसरे चरण के 2018 तक पूरा होने की उम्मीद है। हुगली सुरंग के साथ ही कोलकाता का नाम लंदन, न्यूयार्क, सैन फ्रांसिस्को, सिंगापुर और हांगकांग जैसे विश्व के उन विकसित शहरों की श्रेणी में शामिल हो गया है जहां मेट्रो की लाइन नदी के नीचे से निकाली गई है।
टनल में सुरक्षा के इंतजाम
नदी 13 मीटर (औसत)18.7 मीटर 16 मीटर 19.5 मीटर33.241 मीटरबालू और सिल्टसिल्ट की सख्त परत भीतर दोनों ओर राहत, बचाव कार्यो तथा यात्रियों की आपातकालीन निकासी के लिए रास्ते होंगे। इसके अलावा वेंटिलेशन व अग्नि सुरक्षा के सारे इंतजाम भी किए जाएंगे। इसके लिए हावड़ा व महाकरन स्टेशनों के बीच की वेंटिलेशन शॉफ्ट के अलावा स्टैंडरोड पर अतिरिक्त वेंटिलेशन साफ्ट बनाई जा रही है।
अभूतपूर्व परियोजना :
रचना ने किया निर्माण पानी के अंदर इस आधा किमी लंबी सुरंग बनाने के लिए रचना नाम की टनल बोरिंग मशीन का इस्तेमाल हुआ। यह मशीन जर्मनी की एक कंपनी से खरीदी गई।
उपलब्धि :
लंदन, न्यूयॉर्क की तरह नदी के नीचे मेट्रो लाइन वाला शहर बना कोलकाता, अनेक अड़चनों के बाद नदी के नीचे पूरा हुआ बोरिंग का काम
मेट्रो परियोजना की कुल लंबाई किमी :
सुरंग का भूमिगत हिस्सा मीटर : पानी के अंदर मौजूद भाग मेट्रो स्टेशनों की संख्या बनकर होगा तैयार करोड़ रुपये परियोजना की लागत हावड़ा मैदान महाकरन ऑर्गेनिक क्लेज्वार भाटे का औसत स्तर 520 मीटर (तकरीबन) मीटर (औसत) हुगली नदी13 मीटर (औसत)18.7 मीटर16 मीटर19.5 मीटर 33.241 मीटर बालू और सिल्ट की सख्त परत
# सुर्ख़ियों_में : "देश का प्रथम अंडर रिवर वाटर टनल"
देश की पहली अंडरवाटर कोलकाता में हुगली नदी के नीचे बन रही है। कोलकाता मेट्रो के दूसरे चरण के तहत इस सुरंग का निर्माण जापान के सहयोग से भारतीय रेल द्वारा किया जा रहा है। इसके पूरा होने पर कोलकाता का नाम विश्व के उन चुनिंदा महानगरों में शामिल हो जाएगा जहां मेट्रो की लाइन नदी के नीचे से गुजरती है।
रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार हुगली नदी के नीचे बनाई जा रही दोहरी सुरंग की लंबाई 520 मीटर है। प्रत्येक का भीतरी व्यास साढ़े 5.55 मीटर तथा दीवार की मोटाई 275 मिलीमीटर है। ये नदी की तलहटी से 13 मीटर नीचे हैं। एक सुरंग का काम 21 अप्रैल, 2016 को तथा दूसरी का जुलाई को हावड़ा मैदान से प्रारंभ हुआ था, लेकिन विभिन्न अड़चनों के कारण इन्हें नदी तक पहुंचने में एक साल का वक्त लग गया।
बीती 22 मई को इनमें से एक मशीन ने नदी को पार कर लिया था। अब बाकी कार्य के भी तेजी से पूर्ण होने की संभावना है। हुगली पूरा होने से नदी के पश्चिमी ओर स्थित हावड़ा स्टेशन पूर्व में स्थित महाकरन, सियालदह, फूल बागान, साल्टलेक स्टेडियम, बंगाल केमिकल्स, सिटी सेंटर, सेंट्रल पार्क, करुणामई और साल्ट लेक सेक्टर-5 स्टेशनों से जुड़ जाएंगे।
इन स्टेशनों के बीच रोजाना हजारों कोलकाता वासियों का आवागमन होता है। हावड़ा और सियालदह स्टेशनों के बीच मेट्रो संपर्क स्थापित होने से उत्तरी 24 परगना, दक्षिणी 24 परगना तथा नाडिया जिले के हजारों यात्रियों का दैनिक सफर आसान हो जाएगा।
कोलकाता मेट्रो रेल के दूसरे चरण की परियोजना जापान के सहयोग से पूरी की जा रही है। इस पर आने वाली लगभग 5000 करोड़ रुपये की लागत जापान बैंक आफ इंटरनेशनल कोआपरेशन (जेबीआइसी) के वित्तीय सहयोग से पूरी की जा रही है। दूसरा चरण लगभग 4 किलोमीटर लंबा है।
जिसमें कुल स्टेशनों का निर्माण होगा। इनमें आधे जमीन के भीतर तथा आधे खंभों पर (एलीवेटेड) होंगे। दूसरे चरण के 2018 तक पूरा होने की उम्मीद है। हुगली सुरंग के साथ ही कोलकाता का नाम लंदन, न्यूयार्क, सैन फ्रांसिस्को, सिंगापुर और हांगकांग जैसे विश्व के उन विकसित शहरों की श्रेणी में शामिल हो गया है जहां मेट्रो की लाइन नदी के नीचे से निकाली गई है।
टनल में सुरक्षा के इंतजाम
नदी 13 मीटर (औसत)18.7 मीटर 16 मीटर 19.5 मीटर33.241 मीटरबालू और सिल्टसिल्ट की सख्त परत भीतर दोनों ओर राहत, बचाव कार्यो तथा यात्रियों की आपातकालीन निकासी के लिए रास्ते होंगे। इसके अलावा वेंटिलेशन व अग्नि सुरक्षा के सारे इंतजाम भी किए जाएंगे। इसके लिए हावड़ा व महाकरन स्टेशनों के बीच की वेंटिलेशन शॉफ्ट के अलावा स्टैंडरोड पर अतिरिक्त वेंटिलेशन साफ्ट बनाई जा रही है।
अभूतपूर्व परियोजना :
रचना ने किया निर्माण पानी के अंदर इस आधा किमी लंबी सुरंग बनाने के लिए रचना नाम की टनल बोरिंग मशीन का इस्तेमाल हुआ। यह मशीन जर्मनी की एक कंपनी से खरीदी गई।
उपलब्धि :
लंदन, न्यूयॉर्क की तरह नदी के नीचे मेट्रो लाइन वाला शहर बना कोलकाता, अनेक अड़चनों के बाद नदी के नीचे पूरा हुआ बोरिंग का काम
मेट्रो परियोजना की कुल लंबाई किमी :
सुरंग का भूमिगत हिस्सा मीटर : पानी के अंदर मौजूद भाग मेट्रो स्टेशनों की संख्या बनकर होगा तैयार करोड़ रुपये परियोजना की लागत हावड़ा मैदान महाकरन ऑर्गेनिक क्लेज्वार भाटे का औसत स्तर 520 मीटर (तकरीबन) मीटर (औसत) हुगली नदी13 मीटर (औसत)18.7 मीटर16 मीटर19.5 मीटर 33.241 मीटर बालू और सिल्ट की सख्त परत
Post a Comment Blogger Facebook